हम सब महर्षि भृगु की संतान कहलाने में गर्व अनुभव करते हैं। भगवान परशुराम हमारी जाति के ज्योति स्तंभ हैं। वीर विक्रमादित्य सम्राट हेमचन्द्र ढूसर (भार्गव) फ्हेमूय् हमारी जाति के लिए गौरव ही नहीं अपितु सम्पूर्ण भारत की आन हैं। भक्त प्रवर संत चरणदास का जन्म भी हमारे ही समाज में हुआ। अतः ऐसे महान व्यक्तित्व वाले समाज में हमें भार्गव शब्द से गौरव की अनुभूति होती है।

देश व समाज में कुछ ऐसी भी विभूतियाँ होती हैं जिनके सतत् प्रयासों एवं सेवाओं से समाज लाभान्वित होता है। आज से लगभग 106 वर्ष पूर्व ऐसी ही महान विभूतियों ने भविष्य का ध्यान रखते हुए आपस में प्रेम व भाईचारा बढ़ानेके उद्देश्य से एक नन्हें से पौधे के रूप में फ्दिल्ली भार्गव व हितकारिणी सभाय् का गठन किया, जो आज वटवृक्ष की भाँति हमारे समाज की कल्याणकारी छतरी के रूप में स्थित है। उस समय दिल्ली बहुत सिकुड़ी थी और भार्गव परिवार दरियागंज व चाँदनी चौक के आस-पास ही बसे हुए थे। जैसा कि सभा के नाम से पता चलता है कि इसका मुख्य उद्देश्य भार्गव बन्धुओं की भलाई के लिए काम करना व उसके सुख दुःख में भागी होना रहा। दिल्ली भार्गव बन्धुओं ने कन्धे से कंधा मिलाकर काफी सहयोग दिया। वे समाज में घुसे हुए असामाजिक तत्वों को दूर रखने व सामाजिक समस्याओं को सुलझाने हेतु सदैव प्रयत्नशील रहे।

समाज का इतिहास

पं. रोशन लाल , डॉ. पृथ्वी नाथ, पं. हरि कृष्ण ( वकील ), पं.हरिकृष्ण (आईस मशीनरी मार्ट), सेठ फूल चन्द, सेठ फतेह चन्द, श्री हरिहरनाथ (हल्लूजी), श्री सुन्दर लाल, पं. दीनानाथ दिने श, श्री गोपीनाथ, श्री विशेश्वर नाथ, श्री भगवती प्रसाद, राय साहब गंगासरन, पं. राम गोपाल, पं. जयनारायण, पं. हेमचन्द्र, मास्टर रामजी लाल, पं. जयन्ती प्रसाद, श्री मोहन लाल, श्री मनोहर लाल, श्री नवीन जी विशेष उत्साह व लग्न से कार्य करते थे।

1941 के बाद स्वयं पं. हेम चन्द्र जी भार्गव ने सत्संग भवन, दरियागंज में बैठकें व विवाह आदि के लिए स्थान उपलब्ध कराने में सहयोग दिया। सर्वश्री विष्णु नारायण जी, रामनाथ जी, दयाकिशन जी, त्रिलोकी नाथ जी और ईश्वर दयाल जी के परिश्रम से अनेक वर्षां तक लायब्रेरी का काम सुचारू रूप से सत्संग भवन में चलता रहा। इसी समय भार्गव स्पोर्ट्स क्लब का भी गठन किया गया, जो हाकी के लिये खिलाडि़यों को तैयार करती थी। उस समय दिल्ली के मुख्य चार कालेजों के कप्तान हमारे भार्गव युवा ही थे जो समाज के लिये गौरव की बात थी।

कालान्तर में हमारी सभा का नाम भी दिल्ली भार्गव हितकारिणी सभा से बदल कर भार्गव यंग मैन ऐसोसिएशन रखा गया। यह ऐसोसिएशन अनेकों वर्षों तक भार्गव बन्धुओं की सेवा करती रही। समय करवट बदलता रहा और वर्ष 1943 के बाद अखिल भारतीय भार्गव सभा के निर्देशानुसार सभा का नाम "स्थानीय भार्गव सभा" व बाद में "दिल्ली भार्गव सभा" रखा गया। जिसके प्रथम प्रधान पं. हरिकिशन जी (वकील), मंत्री मास्टर रामजी लाल जी (कूँचा दक्खिनी राय) व कोषाध्यक्ष श्री किशोरी लाल जी बनाये गये। उस समय के होली अवसर पर पं. जयनारायण जी ने एक शेर सुनाया उस की पंक्ति आज भी बरबस स्मृति पटल पर आ जाती हैं।

जब फूल चन्द जी हों सदर।
हों रामजीलाल जी मंत्री अगर।
तो क्यों न फूल बिखरेंगे दर बदर।
बिखरने भी दो होली है आज मगर।।
उपलब्ध जानकारी एवं अभिलेखों के आधार पर सभा के अभी तक निम्न महानुभाव प्रधान व महामंत्री रह चुके है:
वर्ष प्रधान मुख्य सचिव
1967 - 69 श्री गोपीनाथ श्री विशेश्वर नाथ
1969 - 71 श्री हरि कृष्ण वकील श्री नवीन चन्द
1971 - 73 श्री श्रीराम श्री कृष्ण कुमार (A.I.R.)
1973 - 74 श्री जितेन्द्र नाथ श्री मुरारी लाल
1974 - 75 श्री प्रकाश दत्त श्री कृष्ण प्रसाद (रतन)
1975 - 77 श्री मुरारी लाल श्री कन्हैया लाल
1977 - 79 श्री प्रकाश दत्त श्री मोती लाल
1979 - 81 श्री मनोहर लाल श्री रवि शंकर
1981 - 83 श्री किशोरी लाल श्री कमलेश्वर प्रसाद
1983 - 84 श्री राघव नाथ श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1984 - 85 श्री मनोहर लाल श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1985 - 86 श्री रवि शंकर श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1986 - 90 श्री योगेश्वर सहाय श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1990 - 91 श्री सत्य नारायण श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1991 - 92 डॉ. नरेश चन्द्र श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1992 - 94 श्री ओम प्रकाश (शाहदरा) श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1994 - 95 श्री कमलेश्वर प्रसाद श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1995 - 96 श्री ओम प्रकाश (अमोनिया सल्पाई) श्री पुरषोत्तम दत्त
1996 - 97 श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन) श्री विनीत
1997 - 98 श्री सुधीर श्री योगेश
1998 - 99 श्री विष्णु कुमार श्री बाल कृष्ण (राजौरी गार्डन)
1999 - 2001 श्री कमलेश्वर प्रसाद श्री संजीव
2001 - 2003 श्री कन्हैया लाल श्री दीपक
2003 - 2007 श्री देवेन्द्र श्री संजीव
2007 - 2008 श्री शशी भूषण श्री संजीव
2008 - 2009 श्री सुरेन्द्र श्री संजीव
2009 - 2013 श्री योगेश श्री संजीव
2013 - 2015 श्रीमती नीरा श्री संजीव
2015 - 2017 श्रीमती संजीव श्री अजय
2017 - 2019 श्रीमती संजीव श्री अजय

उपरोक्त के अतिरिक्त जिन प्रधान / महामंत्री के कार्यकाल के समय की प्रमाणिकता नहीं पता लगी है उन आदरणी य महानुभावों में सर्व श्री फूलचन्द, फतेह चन्द्र, मास्टर रामजी लाल, रोशन लाल, भवानी प्रसाद, डॉ० पृथ्वी नाथ, सुन्दर लाल (दरियागंज), दीनानाथ "दिनेश", हरिकृष्ण (आईस मशीनरी मार्ट), निरंजन लाल, महावीर प्रसाद हैं। आरम्भ में हमारी सभा के श्री हज्जू नाई व श्रीमती खजानों घर-घर जाकर चन्दा एकत्रित करते व एक-दूसरे का कुशलक्षेम तथा निमंत्रण देने आदि का काम भी करते थे अथ वा यों कहें कि वह संदेश वाहक के रूप में समाज की सेवा करते थे। आपस में प्रेम व भाईचारे का पता इस बात से चलता है कि उस समय प्रत्येक परिवार से एक-एक रुपया लड़के की शादी में घुड़चढ़ी पर व लड़की की शादी में खीसी पर देना अपना सौभाग्य समझते थे। समय में परिवर्तन आया। दिल्ली दूर-दूर तक फैल गई और यह सब सम्भव नहीं रहा तब हमारी सभा ने इस परम्परा को जारी रखने हेतु वर्ष 1985-86 में निश्चिय किया कि दिल्ली भार्गव सभा कल्याण निधि के अन्तर्गत प्रत्येक कन्या के विवाह पर सभा की तरफ से उपहार दिया जाये तथा किसी की मृत्यु पर पुष्पांजलि अर्पित की जाये।

कल्याण निधि

वर्ष 197 2 के भार्गव सम्मेलन में बचत की राशि 15,000/- रुपये, ब्याज तथा दान से प्राप्त, 1,032/- रुपये से कल्याण निधि की स्थापना का निर्णय कार्यकारिणी की बैठक दिनांक 5-6-1977 को लिया गया, जिसके प्रथम संयोजक श्री राघव नाथ जी थे। आज इस निधि के पास लगभग 1,00,000/- रुपये हैं। इससे अर्जित व्याज से निराश्रित, जरूरतमन्दको चिकित्सा, विवाह तथा शिक्षा हेतु अनुदान दिया जाता है। मेघावी छात्रें को रजत पदक, प्लेट आदि भी इसी निधि के अन्तर्गत दिये जाते हैं। सभा द्वारा वर्ष 2004 से विधवाओं को सहायता देना प्रारम्भ किया गया। इस वर्ष से हम दिल्ली के सभी असहाय सदस्यों को अखिल भारतीय भार्गव सभा के माध्य म से सहायता प्रदान कर रहें हैं। दिल्ली भागर्व सभा ही एक ऐसी सभा है जो इस कार्य को स्वयं कर रही है।

इस समय दिल्ली भार्गवों का एक गढ़ बन चुका है। भार्ग वों की जनगणनानुसार वर्ष 1900 में दिल्ली में मात्र 38 परिवार ही थे और आज परिवारों की संख्या लगभग 852 है। उस समय साक्षर व शिक्षित पुरुष व महिलायें क्रमशः80 प्रतिशत और 23 प्रतिशत थे, जो आज लगभग शत प्रतिशत हैं।

युवा संघ

आपस में भाई चारा बढ़े व सब एक दूसरे के सुख-दुख में भागी हों, इस उद्देश्य से भार्गव महिला सभा, भार्गव युवा संघ व भार्गव रिक्रेशन क्लब का गठन किया गया। भार्गव महिला सभा आनन्द मेला, युवा संघ दिवाली मेला व भार्गव रिक्रेशन क्लब खेल कूद का आयोजन करती है। इन सब संस्थाओं के नाम अलग-अलग अ वश्य हैं किन्तु यह सब भार्गव सभा के ही अंग हैं और इन सबका उद्देश्य एक ही है। भार्गव युवा संघ का रिक्रेशन क्लब आजकल सक्रि य नहीं है फिर भी युवा हमारे सहयोगी हैं। पूर्व में दिल्ली भार्गव युवा संघ में सर्वश्री डॉ- सुभाष, योगेश, सुधीर, किशन नारायण, विष्णु कुमार, श्रीमती नीरा, देवेन्द्र, कन्हैया लाल, कृष् ण प्रसाद, जितिन, विनीत और अभय आदि प्रधान व मंत्री पद पर रहकर योगदान करते रहे। इतना ही नहीं युवा सदस्य अखिल भारतीय भार्गव युवा संघ के प्रधान, श्री विष्णु कुमार (1973-74), श्री योगेश (1975, 1978, 19 84), श्री देवेन्द्र-किशोरी लाल एण्ड संस (1972 व 1977), मंत्री: श्री सुधीर (1987-88) का योगदान सराहनीय रहा।

बर्तन फण्ड

बंधुओं की बढ़ती हुई आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए 1941 में एक बर्तन फंड का गठन किया गया। इस समय हमारे पास गैस के चूल्हों के अतिरिक्त खाना बनाने व खाना खाने के बर्तन शादियों व अन्य अवसरों के लिये उपलब्ध हैं। पं. किशोरी लाल जी, सत्संग भवन में इस कार्यभार को आरम्भ से ही सुचारू रूप से च ला रहे हैं। शादी विवाह तथा सभा के अन्य कार्यक्रमों के अवसर पर सत्संग भवन उन्हीं के सहयोग से सब बन्धुओं के लिए उपलब्ध् श होता है। इस समय इस बर्तन फंड में हमारे पास 93,00 0 रु॰ है तथा 30,000 रु॰ की कीमत के बर्तन हैं।

संत चरणदास

दिल्ली भारत की राजधानी होने से दिल्ली के बनने व उजड़ने तथा अपने नाम बदलने के लिए ही प्रसिद्ध नहीं है यह तो वह दिल्ली है जहाँ संत चरणदास जी ने तपस्या की थी। वह स्थान पेड़ जिसके नीचे तपस्या की तथा उनका चौगा आज भी चर्खवालान दिल्ली में स्थित है जहाँ प्रत्येक वर्ष उनके जन्म दिन पर चरणदास उत्सव आयोजित होता है चरणदास जी की बगीची के नाम से प्रख्यात है। दिल्ली का ही पुराना किला जहाँ वीर विक्रमादित्य ढूसर (भार्गव) का राज्याभिषेक 6 अक्टूबर 1556 को हुआ। उनकी विजय और वीरतापूर्ण इतिहास की पुराने किले की दीवारें आज भी साक्षी हैं। ऐसा पता चलता है कि सम्राट पृथ्वी राज के राज दीवान व शिव शंकर जी भार्गव दिल्ली में आने वाले पहले व्यक्ति थे। दिल्ली में बोर्डिग हाऊस 1927 से 1929 तक चालू रहा, जो शिक्षा की महत्त् शा और भविष्य की दूरदर्शिता को दर्शाता है। छात्रें की संख्या केवल पांच होने से 1929 में बोर्डिग हाऊस बन्द करना पड़ा।

कार्य क्षेत्र

इस समय वृहत् दिल्ली को सभा ने सुविधानुसार एवं सुचारू रूप से काम चलाने के लिए चार जोन व 32 क्षेत्रें में विभाजित किया है। प्रत्येक क्षेत्र से एक उप प्रधान व एक मंत्री और प्र त्येक क्षेत्र के लिये एक सदस्य नियुक्त किया जाता है। जो अपने क्षेत्र के परिवारों से सम्पर्क स्थापित कर उनका कुशलक्षेम पता करते हैं और निधन पर पुष्पांजलि एवं विवाह पर सभा की तरफ से उप हार देना अपना कर्त्तव्य समझते हैं। सभा की कार्यकारिणी में एक प्रधान, चार उप प्रधान, एक महामंत्री, चार मंत्री, एक कोषाध्यक्ष व एक लेखा निरीक्षक तथा 43 सदस्य होते हैं।

दिल्ली समाज में भाई चारा व सद्भावना बढ़ाने हेतु विभिन्न क्षेत्रें में मंगल मिलन का सभा आयोजन करती है। भगवान परशुराम, संत चरणदास व सम्राट हेमचन्द्र जी महाराज की स्मृति में विभिन्न समारोह आयोजित करती है ताकि आने वाली पीढ़ी अप ने पूर्वजों के बारे में जान सकें व उनके पदचिन्हों पर चल सकें। सभा हर आ यु वर्ग के स्त्री पुरुषों के लिए खेल-कूद, नृत्य, ग शन व फेंसी ड्रेस आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन करती है। कम से कम वर्ष में एक पिकनिक व वार्षिक समारोह का आयोजन करती है जि ससे लोग एक-दूसरे के अधिक समीप आते हैं। दिल्ली के वरिष्ठ सदस्य/सदस्या ओं को प्रत्येक वर्ष शाल उढ़ाकर उपहार भेंट करते ह ुए सम्मानित करते हैं। वर्ष 1985-86 से कार्यकारिणी के निर्णयानुसार नरेन्द्र जी व फ़े सुझाव पर प्रत्येक वर्ष संभवतः 2 अक्टूबर को फ्स्नेह सम्मेलनय् आयोजित होता है। जिसमें होता है: सांस्कृतिक कार्यक्रम, मेघावी छात्रें का सम्मान, वरिष्ठ सदस्य की 75वीं वर्षगाँठ पर स्मृति चिन् ह देकर व शाल ओढ़ाकर सम्मानित करना, चित्रकला प्रतियोगिता, बेबी शो व सामू हिक भोजन।

समाज में सर्वश्री रामेश्वर दयाल जी ( मुंशी जी ) , राधारमण जी, रामेश्वर दयाल जी (चीरा खाना), केदार नाथ जी , प्रेमचन्द जी, कृष्ण कुमार जी, द्वारका प्रसाद जी "द्वारकेश", जी. एम. सरन् आदि की भूमिका भी कम नहीं जो समाज के प्रत्येक परि वार के सुखःदुख में शामिल होना नहीं भूलते थे।

दिल्ली के विज्ञापनदाता चाहे स्थानीय स्मारिका हो या अखिल भारतीय भार्गव सभा अधिवेशन की स्मारिका हो या भार्गव पत्रिका या अर्चिका या समाचार दर्शिका सबमें ही अपना विज्ञापन देकर सह शयता पहुँचाते हैं। इनका व दिल्ली के अन्य सदस्यों का दान हेतु सदैव हाथ खुला रहता है। जो धन्यवाद के पात्र हैं।

दिल्ली भार्गव सभा द्वारा अपने कोष की वृद्धि करने के लिए एक कार्पस फंड की स्थापना की गई। इसके अन्तर्गत कोई भी सदस्य अपनी या अपने परिजन की स्मृति में निधि स्थापित कर सकता है। इसके ब्याज का 75% सभा अपने वार्षिक खर्चों में खर्च कर सकती है। बाकि 25% राशि मूल में जोड़ने का प्रावधान किया गया ।

इसके अन्तर्गत निम्न निधियाँ हैं:
क्र.सं. निधि का नाम निधि स्थापित करने वाले का नाम राशि दिनांक
1 पं० गोबिन्द प्रसाद व श्रीमती शारदा भार्गव (झांसी) श्री बालकृष्ण व श्रीमती संतोष भार्गव 5000 15-10-1996
2 श्री मोती लाल भार्गव श्री जवाहर लाल भार्गव 5000 18-10-1996
3 श्री विष्णु कुमार व श्रीमती करुणा भार्गव श्री विष्णु कुमार भार्गव 21000 22-10-1994
4 श्री हस्पत राय व श्रीमती करम देवी भार्गव श्री रामप्रकाश भार्गव 5000 27-10-1996
5 श्री जितेन्द्र नाथ भार्गव श्रीमती राजकुमारी भार्गव एवं श्री राजेश भार्गव 5000 30-10-1996
6 श्री मनोहर लाल भार्गव श्रीमती प्रेमवती भार्गव 10000 30-10-1996
7 श्रीमती श्यामलता व श्री महावीर प्रसाद भार्गव श्री कृष्ण कुमार व श्रीमती शान्ता भार्गव 5000 01-11-1996
8 श्रीमती राधा व श्री जगतनारयाण भार्गव श्री राजनारायण भार्गव 10000 01-11-1996
9 श्रीमती सरोज व श्री विशेश्वर नाथ भार्गव श्रीमती सरोज भार्गव 5000 14-11-1996
10 श्री विशन नारायण भार्गव श्री विजय नारायण भार्गव 5000 14-11-1996
11 स्व. श्रीमती त्रिवेनी देवी व स्व. श्री अनन्त राम भागर्व श्री मनमोहन कुमार भार्गव 5000 17-11-1996
12 स्व. श्रीमती त्रिवेनी देवी व स्व. श्री अनन्त राम भागर्व श्री निहाल व श्री सतीस भार्गव 5000 17-11-1996
13 श्री मक्खनलाल व श्रीमती श्यामा भार्गव श्री रामसरन व श्रीमती विमला भार्गव 5000 17-11-1996
14 श्रीमती निर्मल व रामेश्वर नाथ भार्गव श्रीमती उर्मिला व श्री वृजेन्द्र सिंह भार्गव 5000 22-11-1996
15 डाॅ० कामता नाथ भार्गव श्रीमती तारा भार्गव 5000 15-12-1996
16 श्री बनवारी लाल भार्गव श्री गोपाल कृष्ण भार्गव 5000 15-12-1996
17 श्रीमती कमला देवी व श्री मोतीलाल भार्गव श्री अशोक कुमार व श्रीमती अनु भार्गव 5000 16-03-1997
18 सेठ फूलचन्द भार्गव श्री विजय भूषण व श्रीमती निशा भार्गव 5000 16-03-1997
19 श्रीमती कमला देवी व श्री फकीर चन्द भार्गव श्री चन्द्रभान व श्रीमती आशा भार्गव 5000 16-03-1997
20 श्रीमती वसन्ती देवी व मा. रामजी लाल भार्गव डाॅ० पुष्पा व श्री देवेन्द्र भार्गव 5000 29-10-1998
21 श्री किशन चन्द्र व श्रीमती सरला भार्गव श्रीमती सरला भार्गव 5000 24-11-1998
22 श्रीमती रमा एवं डाॅ० नरेश चन्द्र भार्गव डाॅ० नरेश व श्री मुनीष भार्गव 10000 24-11-1998
23 श्री ओमकार नाथ भार्गव श्री ओमकार नाथ व डाॅ० श्री नाथ भार्गव 5000 21-10-1997
24 गुरुदेव बाबा लोचन दास जी
पं. दीनानाथ "दिनेश" कलावती
श्रीमती अलका-श्री सर्वेश, सुयश भार्गव 11000 01-12-2000
25 श्रीमती शांति देवीµश्री केदारनाथ, श्री नवीन चन्द्र भार्गव श्रीमती मन्जू-श्री उमेश, श्रीमती मधु-श्री योगेश
श्रीमती अमिता - श्री राकेश, श्रीमती पुष्पा, श्री संजीव भार्गव
11000 01-12-2001
26 श्रीमती सावित्री-श्री यादेश भार्गव श्री यादेश, श्रीमती सवित्री, श्री रवि श्रीमती प्रीती 5000 12-11-2003
27 श्री जगदीश प्रसाद भार्गव श्री जगदीश प्रसाद भार्गव 5000 31-08-2004
28 स्व. श्री ओंकारनाथ-स्व- श्रीमती उमा देवी
स्व. श्री रमा शंकर एवं स्व. श्रीमती सुशीला निधि
श्री सुरेश-श्रीमती नीरा भार्गव
(सभा के दैनिक कार्यों के उपभोग में खर्च किया जा सकेगा)
50000 2013
29 स्व. डॉ. नरेश-स्व. श्रीमती रमा भार्गव निधि श्री मुनीश एवं श्रीमती अर्चना 1,00,000 2017
  इसके ब्याज से समाज में आवश्यकतानुसार मेडिकल के लिए अन्यथा स्नेह सम्मेलन पर इस्तेमाल किया जाएगा।
30 श्री कमलेश्वर प्रसाद-श्रीमती मिथलेश भार्गव निधि श्री कमलेश्वर प्रसाद एवं श्रीमती मिथलेश 1,00,000 2017
इसके ब्याज से प्रति वर्ष वैवाहिक स्वर्ण जयन्ती हेतु दिए जाने वाले उपहार प्रदान किए जाएंगे।
संत चरण दास निधि
1 डॉ. नरेश भार्गव डॉ. नरेश भार्गव 5,000 2002
2 श्री गौरी शंकर भार्गव श्री गौरी शंकर भार्गव 5,000 2004
3 स्व. विष्णु कुमार भार्गव श्री विष्णु कुमार भार्गव 1,000 2002
समाज कल्याण निधि
1 श्री नगेन्द्र प्रकाश भार्गव श्री नगेन्द्र प्रकाश श्रीमती पुष्पा 3,00,000 2008
2 श्री राजीव श्रीमती आरती श्री राजीव श्रीमती आरती 1,51,000 2013
3 स्व. श्री किशन नारायण-श्रीमती कुसुम भार्गव श्री मुनीष-श्रीमती मानसी
श्री आशीष-श्रीमती कंचन
16,000 2015
4 स्व. चन्द्रभान श्रीमती सरोज श्री दीपक श्रीमती अंजु 10,000 2016
मेडिकल कोष निधि
डॉ. सुभाष भार्गव मेडिकल कोष
1 श्री नगेन्द्र प्रकाश भार्गव श्री नगेन्द्र प्रकाश श्रीमती पुष्पा 2,00,000 2008
2 स्व. डॉ. सुभाष भार्गव श्रीमती मंजू भार्गव धर्मपत्नी स्व. डॉ. सुभाष 25,000 2012
3 स्व. डॉ. सुभाष भार्गव श्रीमती निधि-श्री रोहित
पुत्री एवं दामाद स्व. डॉ. सुभाष
15,100
(5100 10,000)
2012, 2014
4 श्री शरन श्रीमती आदर्श श्री शरन श्रीमती आदर्श 2,00,000 2013
5 स्व. श्रीमती चमेली देवी एवं स्व. श्री किशोरीलाल भार्गव स्मृति निधि श्रीमती शशी-श्री देवेन्द्र श्री अरविन्द-श्रीमती नीता, श्री प्रवीन-श्रीमती ऋचा, श्रीमती शोभना-श्री आनन्द 51,000 2014
जिसके ब्याज से गंभीर रूप से बीमार व्यक्ति को आपातकालीन सहायता प्रदान की जाएगी।
6 कु. स्नेहिल सुपुत्री श्री सौरभ-श्रीमती ऋतु ने तीज उत्सव के अवसर पर प्राप्त पुरस्कार की राशि 2350 को अपने दादा जी श्री शशीभूषण जी के कार्यकाल में स्थापित डॉ- सुभाष भार्गव मेडिकल फंड में प्रदान किया है। सभा द्वारा कु- स्नेहिल का आभार। सभा कु- स्नेहिल के भविष्य के लिए शुभकामनाएं प्रदान करती है। इतनी कम उम्र में बच्चे में इस प्रकार की भावना जागृत करने हेतु उनके माता-पिता भी धन्यवाद के पात्र हैं।
वेबसाइट डेवलेपमेन्ट निधि
1 श्री राज कुमार भार्गव रिटायर्ड, आई.ए.एस.   1,00,000 2012
सांस्कतिक कार्यकम हेतु निधि
1 श्रीमती नर्वदा देवी-डॉ. पी.एन. भार्गव स्व. डॉ. ओ.पी. भार्गव व श्रीमती कमला भार्गव 50,000 2012
सांस्कृतिक कार्यक्रम के पुरस्कारों के लिए
1 पुष्पलता कामता नाथ श्रीमती आशा अशोक विहार 11,000 16-01-2014

ढ़ोसी मंदिर

दिल्ली भार्गव सभा द्वारा वर्ष 2005 से ढ़ोसी मंदिर का कार्य सम्भाला गया। वर्ष 2006 से इसके जीर्णाेद्धार का कार्य अखिल भारतीय भार्गव सभा द्वारा दिल्ली भार्गव सभा को दिया गया इसके अन्तर्गत पहले बिजली की फिटिंग बदलवाई गई, मरम्मत कराई गयी। सफेदी का कार्य प्रारम्भ हो चुका है। मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के तीन वर्ष पूर्ण होने पर भृगु पूर्णिमा पर विशाल भण्ड शरे को आयोजन इस वर्ष किया गया। इन सभी कार्याें पर लगभग दो लाख रूपये खर्च हो चुक श है जो विभिन्न दानवीरों द्वारा दिया गया। सभा की ओर से मैं इन सभी दानवीरों का धन्यवाद करता हूं। इस कार्य को करने के लिए मंदिर में व्यक्तिगत रूप से श्री ओम प्रकाशजी संयोजक, श्रीमती नीरा, सहसंयोजक, श्री संजीव व श्री नरेन्द्र वहां जाते हैं।

विवाह परामर्श केन्द्र

वर्ष 1996 मे ही प्रथम बार अखिल भारतीय य स्तर पर विवाह परामर्श शिविर का उद्घाटन महिला विवेकानन्द कॉलेज, नई दिल्ली के सभागार के बाहर विशाल पंडाल में अखिल भारतीय भार्गव सभा के तत्कालीन प्रधान, श्री विजय नारायण जी व अ. भा. भार्गव महिला सभा की तत्कालीन प्रधान मिथिलेश जी के कर-कमलों द्वारा हुआ, जिसमें विवाह परामर्श उपसमिति इन्दौर के संयोज क व सदस्यों ने व्यक्तिगत रूप से भाग लेकर सहयोग दिया।

डायरेक्ट्री

आरम्भ में दिल्ली भार्गव परिवारों की मेलिंग लिस्ट ही दिल्ली डायरेक्टरी का काम करती थी। बाद में मेलिंग लिस्ट व डायरेक्टरी को अलग-अलग रूप दिया। प्रथम डायरेक्टरी में घर के मुखिया का नाम, पता, व्यवसाय व दूरभाष नम्बर आदि सूचनाएँ निहित थीं। द्वितीय संस्करण में कुछ सुधार लाया गया। किन्तु वर्ष 1999 में अखिल भारतीय भार्गव सभा की नेशनल डायरेक्टरी कें प्रारूप में एक डायरेक्टरी का प्रकाशन किया गया, जिसे अखिल भारतीय भार्गव सभा के प्रारूप् के आधार पर प्रथम डायरेक्टरी कहलाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। द्वितीय संस्करण 2002 में प्रकाशित किया गया। तीसरा संश् शोधित संस्करण 2011 में प्रकाशित किया गया।

हमारे रितीरिवाज , तीज त्यौहार, भार्गव पत्रिका, भार्ग व समाचार दर्शिका के प्रकाशनों को देखकर लोग चकित हो जाते हैं। एक बन्धु से वार्तालाप के द्वारा पता चला कि इतनी सुगठित व अनुशासि त भार्गव समाज के अलावा अन्य कोई समाज नहीं है। समा चार दर्शिका के लिये हम इसके संस्थापक स्व. श्री नवीन चन्द्र जी भार्गव, श्री योगेश जी व श्री विष्णु कुमार जी के आभारी हैं जिनव फ़े प्रयत्नों से प्रकाशन समय पर हो रहा है। समाचार दर्शिका के संपादक मंडल में सभ् शा के तीन प्रतिनिधि रखने का प्रावधान है। वर्तमान में इसके प्रधान संपादक श्री विष्णु कुमार, संपादक श्री योगेश, सह संपादक श्री बालकृष्ण (राजौरी गार्डन), श्रीमती नीरा, श्री संजीव है ं। इसके अतिरिक्त संरक्षक डॉ. सुभाष, श्री गौरव, श्री राकेश (कूपर फार्मा), श्री अश ोक (एक्ल- एस- लेबो) श्री शिव कुमार भार्गव/सुमन, श्री अमरेश्वर सहाय (ग्रेक्योर फार्मेस्युटिकल्स), सभा द्वारा तीन सदस्य श्री हरीकान्त , श्री नरेन्द्र, श्री देवेन्द्र (किशोरी लाल एजेन्सीज) हैं। अन्य सदस्य श्री सर्वेश, श्री सुधाकर,श्री मयंक हैं। संयोजक श्री उमेश (जमना प्रिंटिं ग वर्क्स) व श्री दिवाकर, व्यवस्थापक-श्रीमती मंजू, श्रीमती अनु व श्रीमती मीना हैं।

कई वर्षों तक दिल्ली भार्गव सभा ने भुगुवंशी संदेश नाम से अपनी द्विमासिक पत्रिका का प्रकाशन श्री रविशंकर जी की देख-रेख में किया।

1989 में दिल्ली भार्गव सभा ने अखिल भारतीय भार्गव सभा के 100 वर्ष पूर्ण होने पर शाह ऑडिटोरियम में शताब्दी समारोह का आयोजन किया, जिसके संयोजक श्री अनिल (पाम फार्मेस्यु टिकल्स) रहे। इस अवसर पर भारत के महामहिम राष्ट्रपति डॉ० शंकर दयाल शर्मा को फ्योगदानय् की प्रति भेंट की गयी।

सभा को अनेकों बार सर्वोत्तम सभा घोषित होने व फ़े उपलक्ष्य में अखिल भारतीय भार्गव सभा ने शील्ड व म शनपत्र देकर सम्मानित किया। इसके अतिरिक्त कई बार सभा द्वितीय और तृतीय भी रही । यहाँ के लगनशील, पूर्ण रूप से समर्पित व कर्मठ कार्यकत्त् र्शा सर्वश्री रविशंकर, बालकृष्ण (राजौरी गार्डन), सत्यनारायण, ओम प्रकाश, श् शंकर दत्त, निहाल चन्द व कृष्ण कुमार (ए.आई.आर.) को अखिल भारतीय भार्गव सभा ने उनकी सेवाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें रजत प्लेट देकर सम्मानित किया।

दिल्ली के बन्धुओं द्वारा दान से निम्नलिखित ट्रस्ट एवं निधियाँ भार्गव समाज के कल्याण के लिए कार्य कर रही हैं।
1. श्री दयाकृष्ण भार्गव निधि
2. श्रीमती गीता देवी भार्गव निधि
3. श्री जितेन्द्र नाथ भार्गव निधि
4. श्रीमती मालती निधि
5. श्री किशोरी लाल निधि
6. श्रीमती कलावती देवी जयन्ती प्रसाद निधि
7. श्रीमती रेवती देवी भार्गव निधि
8. श्रीमती कृष्णा देवी भार्गव निधि
9. श्रीमती रत्ना भार्गव पुरस्कार
10. 174 जोर बाग
11. भार्गव धर्मशाला निधि
12. श्री पृथ्वी नाथ निधि
13. श्रीमती भुवनेश्वरी देवी परमेश्वर नाथ पुरस्कार निधि
14. श्रीमती महादेवी रामेश्वर दयाल निधि
15. डॉ. रघुवीर प्रसाद श्रीमती पद्मावती निधि
16. श्रीमती ब्रह्म देवी जगनाथ निधि
17. श्रीमती शकुन्तला भार्गव निधि
18. श्रीमती सरला भार्गव टेक्सेशन निधि
19. श्री रोशन लाल भार्गव ट्रस्ट
20. श्री राघव नाथ पुरस्कार
21. श्रीमती शकुन्तला सुन्दर लाल पुरस्कार
22. रोशन लाल फूल चन्द
23. श्रीमती सरला कृष्ण चन्द
24. श्रीमती मिथिलेश कमलेश निधि
25. श्रीमती ज्ञानवती रामेश्वर दयाल निधि

दिल्ली के दानी श्री श्रीराम जी ने एक ट्रस्ट श्रीमती सरला श्री राम निधि का गठन किया और 174, जोर बाग को अखिल भारतीय भार्गव सभा को दान दिया। इससे पूर्व भी दानदाता श्री बेनी प्रसाद जी ने अपनी पंजीकृत वसीयत में दिनांक 16-9- 1929 में लिखा कि उनकी तमाम जायदाद अजमेर व दिल्ली की बेचकर उनकी पत्नी श्र ीमती आनंदी देवी की स्मृति में एक धर्मशाला बनायी जा ये। उसके लिए एक्जीक्यूटर/ न्यासी ने दिल्ली गेट के पास 26-12-1958 का े धर्मशाला निर्माण हेतु जमीन खरीदी, जो आज भी पं. बेनी प्रसाद भार्गव ट्रस्ट के अन्तर्गत है किन्तु अनेकों प्रयासों के बाद भी कोई न कोई अड़चन के फलस्वरूप धर्मशाला का निर्माण नहीं हो पा रहा है। इसी प्रकार पं. जयन्ती प्रसाद जी ने करौल बाग स्थित मकान अखिल भारतीय भार्गव सभा को दान दिया जिससे अर्जित राशि से समाज कल्याण के अन्तर्गत सहायता दी जाती है।

दिल्ली भार्गव समाज कही भी किसी विषय में पीछे नहीं रहा। समाज को दिल्ली से गौरवान्वित करने वाले श्री भगवत नारायण (राजनीति में), सुश्री देवज्ञा (एम.सी.डी. काउन्सलर), सर्वश्री आलोक (कार्टूनिस्ट), रायबहादुर केशवदेव, कृष्णकान्त , जस्टिम वशिष्ट, श्री सुन्दर लाल (आई.ए.एस.), पं. दीनानाथ ‘दिनेश’, पं. मनोहर लाल, पं- राजकुमार, पंहेमचन्द्र, पं- रोशन ला ल, पं. कान्त किशोर, डॉ. एस.पी. भार्गव, डॉ- पृथ्वी नाथ, डॉ- डी-पी- भार्गव (सिविल सर्जन) आदि। छपाई, दवा उद्योग, चश्मा उद्योग, विमिा प्रकाशन, पेपर आदि में भी दिल्ली के बन्धु अग्रणी हैं।

सर्वप्रथम भार्गव सम्मेल न दिल्ली में आयोिजत करने वाले निःस्वार्थ व उत्साही राय बहादुर पं. गंगा सरन (राय स हाब पं. निरंजन लाल जी के पिता) और पं. राम गोपाल जी (पं. दीना नाथ दिनेश व श्री केदारनाथ भार्गव के पितामह) थे। वर्ष 1898, 1918, 1949, और 1972 में भार्गव सम्मेलन तथा 1945, 1958, 1985, 1987, और 1994 में वार्षिक अधिवेशन करने का सौभाग्य दिल्ली भार्गव सभा को मिला। पं. दीनानाथ फ्दिनेशय् गीता वाचस्पति (1957), श्री हरिकृष्ण एडवोकेट (1962), श्री भगवत प्रसाद (1964), न् यायमूर्ति पं- वशिष्ट (1966), न्यायमूर्ति पं- शंकर प्रसाद (1972) और पं- प्र काश दत्त (1977) ने सम्मेलन के अध्यक्ष पद पर रहकर शो भा बढ़ाई। इसके अतिरिक्त वर्ष में कम से कम एक अखिल भारतीय भार्गव स भा की कार्यकारिणी की बैठक का भी आयोजन करने में दिल्ली सहर्ष आगे रहती है।

हमारी सभा के लिए यह भी गौरव की बात है कि दिल्ली के माननीय सदस्य जस्टिस वशिष्ट (1965 से मई 1972), श्री श्रीराम (1976), श्री शंकर प्रसाद (1973-74 और 1977), श्री भगव त प्रसाद (1980), श्री प्रकाश दत्त (1979 से जनवरी 1981, 1984), श्री किशोरी लाल (1985, 1986), श्री राघव नाथ (1987), डॉ. सुभाष (1989, 1990), श्री विजय नारायण (1995-2001 ) श्री सुरेश कुमार (2001-2005) , श्री ओमप्रकाश फ्ओमीय् (2017-20 19) अध्यक्ष। श्री योगेश (जब सभा में 16 उपप्रधान होत े थे), श्री विष्णु कुमार (1988-89, 1994-96), श्री सुरेश कुमार (1996-2 001) उपाध्यक्ष, श्री मनमोहन कुमार जी (1995-2007) प्रध शन सचिव, श्री ओमप्रकाश फ्ओमीय् (2001-2007) कोषाध्यक्ष और श्री ब शल कृष्ण (राजौरी गार्डन) 1990 (adhoc) तदर्थ समिति मुख्य संयोजक, श्री ओम प्रकाश शाहदरा (1995-97), श्री कमलेश्वर प्रसाद (19 97-99), श्री बालकृष्ण (1999-2001) कोषाध्यक्ष, श्री संजीव सचिव (201-2017) के पद पर शोभायमान रहे। चुनावी न्यायाधिकर ण में श्री किशोरी लाल और डॉú सुभाष की निष्पक्ष भूमिका भी सराहनीय रही। सम्मेलन जो एक-एक वर्ष बाद हुआ करता था अब बन्द हो गया है।

दिल्ली भार्गव सभा केवल स्थानीय नहीं बल्कि अखिल भारतीय भार्गव सभा को सहयोग देने में सदैव अग्रणी रही है। 1931 से 1934 तक हमारी सभा के सदस्यों को भार्गव पत्रिका के प्रकाशन का भार सौंपा गया। इसके सम्पादक पंजय नारायण व मैनेजर माडल प्रेस दिल्ली के मालिक पं. जयन्ती प्रसाद जी थे। पुनः अप्रैल 1959 से 1965 तक पं. दीनानाथ "दिनेश" प्रधान संपादक, पं. गोपी नाथ, श्री बशेश्वर नाथ की देख-रेख में प्रकाशित होती रही। उ सके बाद पं. सुन्दरलाल व मा. रामजीलाल संपादक रहे और वर्तमान में प्रधान संपादक श्री मनमोहन कुमार तथा संपादक मंडल व पत्रिका एडवाइजरी कमेटी में श्री रविशंकर, श्री योगेश, श्री बालकृष्ण (सह संपादक), श्री कृष्ण कुमार (सह संपादक), श्री निहाल, श्री संजीव सब दिल्ली के ही सहयोग देते चले आ रहे हैं।

अखिल भारतीय भार्गव सभा में पहले दशक के आस पास हमारी सभा के मानवीय सदस्य पं. जयनारायण, पंसुन्दरल शल, पं. मनोहर लाल, पं. सीताराम, श्री मोती लाल, श्री श्री राम, श्री गणेश् शी लाल, राय गंगा शरण दास, श्री प्रभु दयाल राय, श्री गंगादास, मेजर मोहन लाल, श्री मथुरा प्रसाद आदि बन्धुओं ने समाज के हित में अनेकों पदों पर रहकर सक्रिय व सराहनीय कार्य किये । लै. कर्नल मनोहर लाल भार्गव (हेमू के वंशज) सभा के उप प्रधान रहे और 1932 में प्रकाशित भार्गव डायरेक्ट्री का आपने सम्पादन किया। आपने भृगु वंश इतिहास भी लिखा।

दिल्ली की महिलाएं भी किसी से कम नहीं है। वर्ष 1984 में वे महिला सभा की रजत जयन्ती मना चुकी हैं। श्रीमती अनु, श्रीमती मिथलेश व श्रीमती कुमुद को रत्ना पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है। अखिल भारतीय भार्गव महिला सभा में श्रीमती प्रेम, सुन्दर नगर 1984-87, श्रीमती सरला (जोरबाग) 1988, स्व, श्रीमती स रला (नई सड़क), श्रीमती मिथलेश 1995-97, अध्यक्ष तथा श्रीमती राजकुमारी (1998-99), श्रीमती मिथलेश (1993-95), मंत्राणी के पद पर आसीन रही। इसके अतिरिक्त दिल्ली भाग र्व महिला सभा की प्रधान श्रीमती द्रोपदी (दयिागंज), श्रीमती प्रकाशवती (सब् जी मंडी), श्रीमती गायत्री देवी, श्रीमती विद्यावती (दरियागं ज), श्रीमती बसंत (सुन्दर नगर), श्रीमती सरला (जोरबाग), श्रीमती प्रेम (सुन्द र नगर), श्रीमती सावित्री (दरियागंज), श्रीमती राजकुमारी (जौली इंजीनियरिंग वर्कस), श्रीमती रत्ना, श्रीमती शान्ति (दयिागंज), श्रीमती स रला (नई सड़क), श्रीमती सरला (दयिागंज), श्रीमती ज्ञानवती (दरियागंज), श्रीमती अनु (माडल टाऊन), श्रीमती कुमुद (दरियागंज), श्रीम ती मिथलेश (पश्चिम विहार), श्रीमती बीना (सफदरजंग एन्व फ़लेव) और श्रीमती राजकुमारी (नरवाना अर्पाटमैन्ट), श्रीमती नीलम, श्री मती प्रतिमा तथा मंत्रणी µ श्रीमती सरला (जोर बाग), श्रीमती ज्ञानवती, श्रीमती राजकुमारी (सहगल कालोनी), श्रीमती प्रेम (सुन्दर नगर), श्रीमती सरला (दरियांगज), श्रीमती शान्ति (दरियागंज), श्रीम ती सरला (नया बाजार), श्रीमती कुसुम (पहाड़गंज), श्रीमती सरला (नई सड़क), श्रीमती अनु (माडल टाउन), श्रीमती कुमुद (दरियागंज) , श्रीमती राजकुमारी (चर्खेवालान), श्रीमती बीना (सफदरजंग एन्के लेव) श्रीमती नीलम (प्रशांत विहार) और श्रीमती संतोष महिला सभा दिल्ली में पदासीन रही। आप सबकी समाज के प्रति लगन व निस्वार्थ सेवा कभी नहीं भुलाई जा सकती।

दिल्ली भार्गव सभा 117 वर्ष पूर्ण कर अपने उद्देश् यों की पूर्ति के लिये आगे बढ़ती जा रही है। जिसका श्रेय दि ल्ली बन्धुओं को व कर्मठ और निःस्वार्थ समाज सुधारकों को जाता है। और जहां उन्हीं के कारण भारतीय समाज में एक सम्मानीय एवं प्रतिष्ठित स्थान प्राप्त हुआ है। और जाति का प्रत्येक व्यक्ति सभा, समाज की उप लब्धियों से अपने को गौरवान्वित अनुभव करता है।

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