दिल्ली भार्गव सभा की स्थापना सर्वप्रथम सन् 1900 में हुई थी, जिस समय हमारे समाज के केवल 38 परिवार ही दिल्ली में रहते थे।

कालान्तर में हमारी सभा का नाम ”दिल्ली कार्यकारिणी सभा“ से बदल कर ”भार्गव यंग मैन एसोसिएशन“ रखा गया। यह एसोसिएशन कई वर्जों तक सेवा करती रही। सन् 1943 के बाद अखिल भारतीय भार्गव सभा के निर्देशानुसार सभा का नाम ”स्थानीय भार्गव सभा“ व बाद में ”दिल्ली भार्गव सभा“ रखा गया। सभा की नियमावली जनवरी, 1953 में पारित की गई व 1987 में संशोधिात कर अखिल भारतीय भार्गव सभा से अनुमोदित की गई। सभा का दिल्ली सरकार से 4-1-1990 को पंजीकरण कराया गया।

कोई भी नियम अथवा विनियम स्थायी नहीं कहे जा सकते हैं। तत्कालीन सामाजिक, आर्थिक एवं जनतांत्रिक चेतना के अनुरूप नियमों में भी आवश्यक सुधाार किया जाना आवश्यक होता है।प्रभावी संविधाान को और अधिाक उपयोगी एवं व्यावहारिक बनाने के उद्देश्य से गत दो-तीन वर्जों में संविधाान की समीक्षा करके संशोधान का यह कार्य सम्पन्न किया गया।

दिल्ली भार्गव सभा के स= 2015-2017 के पदाधिाकारियों एवं कार्यकारिणी सदस्यों ने समय-समय पर प्रत्येक धाारा की गहन समीक्षा एवं विचार-विमर्श कर संविधाान को अंतिम रूप दिया, जिसे साधाारण सभा ने स्वीकृति प्रदान की एवं नवीन संविधाान को 1 अप्रैल 2017 से प्रभावी करने का निर्णय लिया।

संजीव भार्गव (अध्यक्ष, दिल्ली भार्गव सभा) अजय भार्गव (मुख्य सचिव, दिल्ली भार्गव सभा)
संविधाान
स्मृति -पत्र (Memorandum of Association)
1. नाम: इस संस्था का नाम ‘दिल्ली भार्गव सभा है। जहाँ भी ‘सभा‘ शब्द का प्रयोग किया गया है उसका तात्पर्य ‘दिल्ली भार्गव सभा’ से है।
2. कार्यालय: सभा का अपना स्थायी कार्यालय न होने तक सभा का मुख्य कार्यालय मुख्य सचिव द्वारा निर्धाारित स्थान पर होगा।
3. कार्यक्षेत्र: दिल्ली राज्य
4. उद्देश्य:
  • 4,1 समाज में आपस में प्रेम और मेल-जोल बढ़ाना तथा समाज के हित एवं प्रगति के लिये प्रयत्न करना।
  • 4,2 समाज में हर प्रकार की शिक्षा के लिये सभी स्तरों पर प्रोत्साहन देना, मार्गदर्शन करना एवं आर्थिक सहयोग देना।
  • 4,3 समाज में धाार्मिक, नैतिक, आध्यात्मिक, सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक, बौि)क, मानसिक एवं शारीरिक उत्थान हेतु प्रयत्न करना।
  • 4,4 समाज के अधिाकारों की रक्षा करना।
  • 4,5 समाज के आर्थिक एवं शारीरिक रूप से कमजोर एवं असहाय व्यक्तियों की यथासम्भव सहायता करना एवं उन्हें स्वावलम्बी बनाने हेतु प्रयत्न करना।
  • 4,6 सभा की चल एवं अचल सम्पत्ति का उचित प्रबन्धा, सुरक्षा एवं रख-रखाव करना, क्रय, विक्रय या किराये पर देना तथा उसे उचित प्रकार से सभा के हित में तथा सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु प्रयोग में लाना।
  • 4,7 समाज को आर्थिक रूप से सुदृढ़ करना तथा सभा के वर्तमान न्यासों/निधिायों एवं भविष्य में प्राप्त होने वाले अनुदानों का समुचित प्रबन्धा करना।
  • 4,8 देश एवं समाज कल्याण हेतु जागृति उत्पन्न करना एवं इस उद्देश्य हेतु योजनाऐं बनाना, उनको कार्यान्वित करना तथा सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु धान एवं सम्पत्ति एकत्रित करना।
  • 4,9 सभा के धान का निवेश उसकी पूर्ण सुरक्षा एवं अधिाक से अधिाक आय को दृष्टिगत रखते हुए करना।
  • 4,10 अखिल भारतीय भार्गव सभा, उसकी कार्यकारिणी तथा साधाारण सभा द्वारा पारित प्रस्तावों को कार्यान्वित करना।
5. पंजीकरण: यह सभा नियमानुसार पंजीकृत संस्था है। इसके सभासदों का दायित्व (Liability) केवल सभा की सम्पत्ति तक ही सीमित होगा।
नियम और विनियम (Rules and Regulations)
1. भाषा: इस सभा की समस्त कार्यवाही हिन्दी भाषा और देवनागरी लिपि में होगी। सुविधा की दृष्टि से अंग्रेजी भाषा का प्रयोग भी किया जा सकता है।
2. सदस्य: दिल्ली राज्य निवासी 18 वर्ष या उससे अधिाक आयु के भार्गव महिला/पुरुष नियमानुसार सभा के सदस्य बन सकते हैं।
    सदस्य दो प्रकार के होंगे:- साधाारण सदस्य एवं आजीवन सदस्य।
सदस्यता शुल्क:
  • 1. साधाारण सदस्य - द्विवार्षिक सत्र के लिये - 100 रुपए
  • 2. आजीवन सदस्य - एकल - 150 रुपए
  • युगल - पति-पत्नी - 250 रुपए
सदस्यता शुल्क का पुनः निर्धारण कार्यकारिणी की अनुषंसा पर साधारण सभा में किया जा सकता है।
सदस्य बनने की प्रक्रिया
निर्धारित प्रपत्र के नियमानुसार पूर्णतया भरकर सदस्यता शुल्क के साथ मुख्य सचिव के पास भेजना अनिवार्य होगा। अपूर्ण प्रपत्र पर सदस्यता अस्वीकार की जा सकती है।
नोट:
  • (i) पूर्व में बने आजीवन सदस्यों से कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जायेगा। विवाह के बाद युगल सदस्यता के लिए पूर्व में दिया गया एकल शुल्क घटा दिया जायेगा।
  • (ii) जब तक सदस्य का निवास अन्य नगर में रहेगा, वह निर्वाचन प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेगा।
  • (iii) सभा के चुनाव में केवल वही सदस्य भाग ले सकेंगे जिनका आगामी दो वित्तीय वर्ष का साधारण सदस्यता शुल्क अथवा आजीवन सदस्यता शुल्क चुनाव वर्ष के 30 नवम्बर तक कोषाध्यक्ष के पास जमा हो जायेगा जिसकी सूची बनाकर कोषाध्यक्ष द्वारा विलम्बतम दिसम्बर के प्रथम सप्ताह तक मुख्य सचिव को उपलब्ध करा दी जायेगी।
भार्गव परिवारों के अन्य समस्त स्थानीय सदस्य भार्गव सभा के कार्यक्रमों में द्धनिर्वाचन प्रक्रिया को छोड़करऋ भाग ले सकेंगे, जिसके लिये आजीवान /साधाारण सदस्य होना आवश्यक नहीं होगा।
3. सभा के अंग:
3.1 साधाारण सभा (General Boday) - समस्त सदस्य एवं आजीवन सदस्य साधाारण सभा के सदस्य होंगे।
3.2 कार्यकारिणी (Executive) - सभा के निर्वाचित पदाधिाकारी एवं सदस्य तथा मनोनीत सदस्य कार्यकारिणी के सदस्य होंगे। सभा के समस्त कार्यों का प्रबन्धा कार्यकारिणी के निर्देशन में सम्पादित होगा।
4. सदस्यों के कर्तव्य एवं अधिाकार:
4.1 सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सभा की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाने हेतु प्रयास करना।
4.2 जो कार्य सभा की ओर से उनको दिये जायें उनको यथाशक्ति पूर्ण करना।
4.3 सभा के नियमों, निर्णयों व प्रस्तावों का पालन करना एवं कराना।
4.4 सभा की चल अचल सम्पत्ति के रख रखाव एवं सुरक्षा में आवश्यकतानुसार सहयोग देना।
4.5 समाज के अन्य सदस्यों को सभासद बनने के लिये प्रेरित करना।
4.6 विवाह आदि शुभ अवसरों पर सामर्थ्य अनुसार सभा को दान देना एवं अन्य व्यक्तियों को भी प्रेरित करना।
4.7 सभा के अधिवेशनों में सम्मिलित होना और प्रस्तुत विषयों पर अपना स्वतंत्र मत प्रकट करना।
4.8 सभा के हित में आवश्यकतानुसार सभा के पत्रों, रजिस्टरों तथा हिसाब को पूर्व निर्धारित समय पर सभा कार्यालय में जानकारी हेतु जाकर देखना।
4.9 निर्वाचन प्रक्रिया में प्रत्याशी, प्रस्तावक, समर्थक या मतदाता के रूप में नियमानुसार भाग लेना।
5. सदस्य को पृथक करना
यदि किसी सदस्य के आचरण, कार्य एवं व्यवहार से सभा को आर्थिक हानि हुई हो या हो सकती हो अथवा जिससे समाज व सभा की प्रतिष्ठा, नियमों व उद्देश्यों को आघात पहुँचता हो अथवा कार्यकारिणी उसे किसी दोष के कारण सभा की सदस्यता के अयोग्य समझे तथा सम्बन्धित सदस्य के स्पष्टीकरण के उपरान्त भी कार्यकारिणी सन्तुष्ट नहीं होती है तो कार्यकारिणी की अनुशंसा पर साधारण सभा अपनी नियमित या विशेष बैठक में कार्यसूची में दर्शाते हुये उपस्थित सदस्यों के 3/4 बहुमत से ऐसे सदस्य को सभा की सदस्यता से यथोचित समय के लिये पृथक कर सकेगी। उक्त निर्णय से असन्तुष्ट व्यक्ति को पृथक किये जाने की विधिवत सूचना प्राप्त होने के 30 दिन के अन्दर केवल सभा के न्यायाधिकरण को अपील करने का अधिकार होगा। न्यायाधिकरण का निर्णय अन्तिम एवं सर्वमान्य होगा। सदस्यता से पृथक किये गये सदस्य को सदस्यता शुल्क वापस नहीं किया जायेगा।
6. कार्यकारिणी का गठन:
6.1 प्रत्येक दो वर्ष हेतु चुनाव द्वारा कार्यकारिणी गठित होगी, जिसके लिए निम्न पदाधिाकारीगण एवं सदस्यों का चुनाव निर्धाारित प्रक्रियानुसार लेमिनेटिड परिचय पत्र के द्वारा निर्वाचन अधिाकारी द्वारा सम्पन्न कराया जायेगा।
  • अध्यक्ष - एक
  • उपाधयक्ष - चार (क्षेत्रवार)
  • मुख्य - सचिव एक
  • संयुक्त सचिव - चार (दो का चुनाव एवं दो मुख्य सचिव द्वारा मनोनीत)
  • कोषाधयक्ष - एक
  नोट:
  • कार्यकारिणी सदस्य क्षेत्रनुसार प्रत्येक क्षेत्र से एक (वर्तमान में 30 क्षेत्र)
   
जोन वार्ड एरिया
जोन-1    
  1 दरियागंज, सुंदर नगर
  2 सीताराम बाजार, चावड़ी बाजार
  3 भार्गव लेन, सिविल लाइन्स, रूप नगर, शक्ति नगर, सी.सी. कालोनी
  4 त्रि नगर, अशोक विहार, स्टेट बैंक कॉलोनी
     
जोन-2    
  5 मोती बाग, आर.के. पुरम, सपफदरजंग एन्क्लेव, सिरीफोर्ट रोड, न्यू दिल्ली साउथ एक्सटेंशन
  6 सेवा नगर, अलकनन्दा, कालका जी, डिफेन्स कॉलोनी, लाजपत नगर
  7 सिद्वार्थ एन्क्लेव, सिद्वार्थ एक्सटेंशन, जसोला, न्यू फैंरड्स कॉलोनी
  8 सरिता विहार
  9 ग्रेटर कैलाश, ईस्ट ऑफ कैलाश
  10 हौजखास, ग्रीन पार्क, साकेत, मालवीय नगर, पंचशील पार्क
     
जोन-3    
  11 मुनीरका, वसन्त कुंज
  12 विकास पुरी, उत्तम नगर, जनकपुरी
  13 पश्चिम विहार
  14 द्वारका भृगु अपार्टमेंट्स
  15 महावीर नगर, द्वारका (भृगु अपार्टमेंट्स को छोड़कर)
     
जोन-4    
  16 बंगाली मार्केट, करोल बाग, पहाड़गंज, पटेल नगर
  17 रोहिणी सेक्टर 4, 6, 7, 8, 9 एवं प्रशान्त विहार
  18 रोहिणी सेक्टर 13,14,15,17,18,19,21,23
  19 पीतमपुरा, शालीमार बाग
  20 कीर्ति नगर, राजौरी गार्डन, हरी नगर, माया पुरी
     
जोन-5    
  21 विकास मार्ग, लक्ष्मी नगर, शकरपुर, राजधानी एन्क्लेव
  22 शाहदरा, नवीन शाहदरा, गोरख पार्वफ, अर्जुन नगर
  23 कैलाश नगर, गीता कॉलोनी, कृष्णा नगर
  24 नवीन शाहदरा, दिलशाद गार्डन, झिलमिल कॉलोनी, गोकल पुरी, गंगा विहार, डीएलपफ दिलशाद गार्डन
  25 घोंडा, मौजपुर, भजनपुरा, ब्रह्मपुरी, दयालपुर
     
जोन-6    
  26 मधुवन, एकता गार्डन, पांडव नगर, तरंग अपार्टमेंट्स, प्रशान्त अपार्टमेंट्स, कृष्णा एपार्टमेंट्स, राम कृष्णा विहार, ऑक्सपफोर्ड अपार्टमेंट्स, करिश्मा अपार्टमेंट्स
  27 मित्रदीप अपार्टमेंट्स, संचार लोक अपार्टमेंट्स, शान्ति विहार, यूनेस्को अपार्टमेंट्स, अग्रसेन अपार्टमेंट्स, परिवार अपार्टमेंट्स, मिलन विहार, आम्रपाली अपार्टमेंट्स, पुष्पांजलि अपार्टमेंट्स, आनन्द विहार
  28 मयूर विहार फेस-1
  29 गाजीपुर, वसुन्धरा, कौशाम्बी, सूर्या नगर, राम प्रस्थ
  30 मयूर विहार फेज-2 तथा फेज-3
     
चुनाव के उपरान्त यदि किसी क्षेत्र से कार्यकारिणी सदस्य न हो तो कार्यकारिणी को उन क्षेत्रों से कार्यकारिणी हेतु सदस्यों को नामित करने का अधिकार होगा।
   
  प्रतिबन्धा:
  • प्रधान व मुख्य सचिव के लिये 2 साल कार्यकारिणी सदस्य व गत 2 साल में किसी भी पदाधिकारी पद पर रहकर चुनाव लड़ सकता है।
  • गत दो वर्शों में कार्यकारिणी की बैठकों में सक्रिय रूप से भाग लेना अनिवार्य है एवं किसी भी पदाधिकारी पद के लिए 70 प्रतिषत उपस्थिति अनिवार्य होगी।
6.2 सभा के समस्त पूर्व अध्यक्ष तथा निवर्तमान मुख्य सचिव कार्यकारिणी के सदस्य होंगे।
6.3 सभा के अध्यक्ष, मुख्य सचिव की सहमति से 5 सदस्यों को कार्यकारिणी की सदस्यता हेतु नामित करने के लिए सक्षम होंगे। ऐसे सदस्यों के अधिकार अन्य निर्वाचित सदस्यों के समान होंगे।
6.4 स्थानीय महिला सभा तथा युवा संघ के तत्कालीन प्रधान तथा सचिव एवं अखिल भारतीय भार्गव सभा में स्थानीय सभा द्वारा मनोनीत सदस्य कार्यकारिणी के पदेन सदस्य होंगे। इनको मत देने का अधिकार नहीं होगा।
6.5 नये सत्र की कार्यकारिणी की प्रथम बैठक में एक लेखा परीक्षक नियुक्त किया जायेगा। लेखा परीक्षक कोषाध्यक्ष द्वारा प्रस्तुत लेखा-जोखा जाँच कर अपनी रिपोर्ट देगा। लेखा परीक्षक कार्यकारिणी का सदस्य नहीं होगा, पर आवश्यकतानुसार कार्यकारिणी में उसे विशेष रूप से आमंत्रित किया जायेगा।
6.6 किसी भी कारणवश अगर सत्र के समाप्त होने पर चुनाव न हो सका तो कार्यकारिणी का कार्यकाल 3 महीने स्वतः ही बढ़ जायेगा। इस तीन महीने में न्यायाधिकरण निर्वाचन प्रक्रिया के अनुरूप चुनाव करायेंगे।
6.7 जो भी कार्यकारिणी का सदस्य बिना औचित्य के निरन्तर तीन कार्यकारणी बैठकों में उपस्थित नहीं होगा उसकी कार्यकारिणी की सदस्यता कारण बताओ नोटिस देकर, उत्तर से संतुष्ट न होने पर, समाप्त करने का अधिकार कार्यकारिणी की अनुशंसा पर अध्यक्ष को होगा। एवं उक्त सदस्य को को आगामी निर्वाचन में भाग नहीं लेने दिया जायेगा।
6.8 उपरोक्त के अतिरिक्त सभा मे एक अथवा अनेक संरक्षक भी हो सकते हैं। ये संरक्षक साधारण सभा द्वारा नामित किये जा सकेंगे तथा इनका कार्यकारिणी बैठको में विषेष स्थान होगा। किसी विषय पर मतभेद होने पर संरक्षकों को मान्यता दी जानी चाहिए।
6.9 पदाधिकारियों को अखिल भारतीय भार्गव सभा का आजीवन सदस्य होना अनिवार्य है।
7. कार्यकाल:
7.1 कार्यकारिणी का कार्यकाल दो वर्ष होगा।
8. रिक्त स्थानों की पूर्ति हेतु:
8.1 दो वर्ष के कार्यकाल के दौरान किसी भी कारण से कार्यकारिणी के किसी पदाधिकारी का पद रिक्त हो जाने अथवा निर्वाचन प्रक्रिया के उपरान्त पद रिक्त रह जाने की दशा में कार्यकारिणी को अधिकार होगा कि वह कार्यकारिणी के किसी सदस्य को उस पद हेतु नामित करे।
8.2 कार्यकारिणी के कार्यकाल में 5 या इससे अधिक पदाधिकारियों/ कार्यकारिणी सदस्यों द्वारा किसी भी कारण से पद रिक्त किये जाने की दशा में साधारण सभा की विशेष बैठक बुलाकर ही रिक्त स्थानों की पूर्ति की जायेगी।
8.3 पदाधिकारी अथवा कार्यकारिणी सदस्य को अपने त्यागपत्र की सूचना अध्यक्ष अथवा मुख्य सचिव को लिखित रूप से भेजनी होगी। कार्यकारिणी द्वारा ही त्यागपत्र स्वीकार या अस्वीकार किये जायेंगे।
9. सभा की बैठकें:
  सभा की बैठक चार प्रकार की होंगी:
  • (क) साधाारण
  • (ख) विशेष
  • (ग) वार्षिक
  • (घ) कार्यकारिणी
(क) साधाारण बैठक:
  सभा की साधारण बैठक किसी भी उत्सव/कार्यक्रम/के साथ या पृथक से आवश्यकतानुसार आयोजित की जाएगी। जिसमें सभा के समस्त आजीवन तथा साधारण सदस्यों के अतिरिक्त समाज के सभी परिवार आमंत्रित किये जा सकेंगे।
(ख) विशेष बैठक:
  मुख्य सचिव कार्यकारिणी के निश्चय पर अथवा 51 सदस्यों के लिखित प्रार्थना पत्र प्राप्त होने के 30 दिन के अंदर किसी विशेष कार्य अथवा संविधान में संशोधन हेतु विशेष बैठक अध्यक्ष की सहमति से स्थान एवं तिथि निर्धारित करके सूचना कार्य सूची दर्शाते हुये निकालेंगे। जिसमें केवल वही विषय प्रस्तुत किये जायेंगे जिसके लिए वह बुलायी गयी है। विशेष बैठक आरम्भ होने के समय के दो घण्टे के अन्दर वाँछित गणपूर्ति न होने पर विशेष बैठक रद्द हो जायेगी तथा उक्त लिखित प्रार्थना पत्र में प्रस्तुत प्रस्ताव स्वतः ही निरस्त माना जायेगा।
(ग) वार्षिक बैठक:
  प्रत्येक वर्ष वार्षिक बैठक आयोजित होगी। इसमें मुख्य सचिव की रिपोर्ट, कल्याण निंध की रिपोर्ट, विगत वित्तीय वर्ष का आय-व्यय का ब्योरा एवं अंकेक्षित रिपोर्ट एवं आगामी वर्श का अनुमानित आय-व्यय का ब्यौरा तथा अन्य समितियों की रिपोर्ट इत्यादि प्रस्तुत की जायेगी।
(घ) कार्यकारिणी बैठक:
  आवश्यकतानुसार समय-समय पर (वर्श में कम से कम छः बैठक) आहूत की जाया करेगी जिसमें विभिन्न विषयों/कार्यक्रमों पर चर्चा एवं निर्णय तथा वर्तमान आय-व्यय का ब्यौरा प्रस्तुत किया जाया करेगा।
10. बैठकों की तिथि, समय व स्थान का निर्धाारण एवं सूचना:
(क) अध्यक्ष एवं मुख्य सचिव के निर्णयानुसार बैठकों की तिथि, समय व स्थान का निर्णय होगा।
(ख) कार्यकारिणी/साधारण बैठकों/विशेष बैठकों की सूचना कार्यक्रमों/विशेष कार्यक्रमों सहित बैठक की निर्धारित तिथि से कम से कम 15 दिन पूर्व सूचना सभी सम्बन्धित सदस्यों को प्रेषित की जायेगी। संचार सुविधा हेतु सभा द्वारा अनुमोदित समाचार पत्रिका में प्रकाषित सूचना पर्याप्त मानी जायेगी।
(ग) कार्यकारिणी की बैठक अत्यन्त आवष्यकता होने पर केवल 24 घंटे की सूचना पर बुलाई जा सकती है।
11. पूरक संख्या:
11.1 सभा की सभी बैठकों के लिये पूरक संख्या न्यूनतम 31 सदस्य होगी। कार्यकारिणी की बैठकों के लिए पूरक संख्या 11 होगी।
12. कार्यकारिणी के अधिाकार, कर्तव्य एवं दायित्व:
12.1 अधिकार:
  • 12.1.1: कार्यकारिणी अपने कार्य संचालन के लिए ऐसे नियम बना सकेगी जो सभा के नियमों एवं ध्येय के विरुद्ध न हों।
  • 12.1.2: साधारणतः कार्यकारिणी को स्वीकृत बजट के अनुसार व्यय करने का अधिकार है। आवश्यकता पड़ने पर एक वित्तीय वर्ष में कार्यकारिणी अधिक से अधिक 10,000/- रुपये अतिरिक्त व्यय कर सकती है। जिसकी स्वीकृति सभा के अगले अधिवेशन में लेना आवश्यक होगा।
12.2 कर्तव्य एवं दायित्व:
  • 12.2.1: सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु समय समय पर बनायी गयी आचार संहिता, प्रसारित दिशा निर्देश एवं अन्य नियमों को विभिन्न स्तरों पर क्रियान्वित कराने का मुख्य दायित्व कार्यकारिणी का होगा। कार्यकारिणी अपने तथा विभिन्न उपसमितियों के कार्य संचालन के लिये ऐसे नियम बनायेगी जो सभा के नियमों एवं उद्देश्यों के विरुद्ध न हों। उक्त नियमों की समीक्षा समय समय पर की जायेगी।
  • 12.2.2:कार्यकारिणी वार्षिक रिपोर्ट, गत वर्ष के आय-व्यय तथा अगले वर्ष के अनुमानित आय-व्यय के प्रस्ताव और अन्य प्रस्तावों पर विचार करके मुख्य सचिव को सभा के वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत करने के लिये अधिकृत करेगी।
  • 12.2.3: सभा को दिये जाने वाले अनुदानों को स्वीकार अथवा अस्वीकार करना।
  • 12.2.4: धन को निवेश करने की स्वीकृति प्रदान करना।
  • 12.2.5: आवश्यकतानुसार बैंकों/पोस्ट ऑफि़स इत्यादि में सभा के नाम का खाता खोलना।
  • 12.2.6: सभा की अचल सम्पत्ति के लिए बनाये गये नियमों के अनुपालन का प्राथमिक दायित्व कार्यकारिणी पर होगा, परन्तु निर्णयों को कार्यान्वित करने का दायित्व मुख्य सचिव पर होगा।
  • 12.2.7: कार्यकारिणी को साधारण सभा की पूर्व प्राप्त स्वीकृति के बिना उसकी चल अथवा अचल सम्पत्ति को बेचने, रहन या लीज पर रखने का अधिकार नहीं होगा।
  • 12.2.8: प्रत्येक बैठक की कार्यवाही एक रजिस्टर में अंकित की जायेगी तथा उस पर अनुमोदन हो जाने पर मुख्य सचिव एवं अध्यक्ष के हस्ताक्षर होंगे।
  • 12.2.9: उपसमितियों का गठन - सभा के उद्देश्यों की पूर्ति एवं कुशल कार्य सम्पादन तथा विशेष प्रयोजनों हेतु आवश्यकतानुसार उपसमितियों का गठन नये सत्र की प्रथम कार्यकारिणी बैठक में मुख्य सचिव प्रस्तुत कर अनुमोदन करायेंगे। कार्यकारिणी को उपसमिति बनाने तथा उनकी कार्यप्रणाली, समय सीमा एवं अन्य नियम बनाने का अधिकार होगा। ऐसी उपसमितियों का गठन तथा कार्यकाल कार्यकारिणी के निर्णय पर निर्भर करेगा। किसी विशेष कार्य हेतु गठित उपसमिति का कार्यकाल उक्त कार्य के समाप्त होने पर अथवा सत्र की समाप्ति पर स्वतः ही समाप्त हो जायेगा। आवश्यकता पड़ने पर कार्यकारिणी को उनका कार्यकाल समाप्त करने का, बढ़ाने का या उनका पुनः गठन करने का पूर्ण अधिकार होगा।
13. पदाधिाकारियों के अधिाकार एवं कर्त्तव्य:
13.1 अध्यक्ष के कर्त्तव्य एवं अधिाकार:
  • 13.1.1: सभी बैठकों की अध्यक्षता करना और उसका संचालन करना।
  • 13.1.2: आवश्यकतानुसार सभा के पत्रों पर हस्ताक्षर करना।
  • 13.1.3: सभा के सभासदों के अतिरिक्त किसी व्यक्ति को सभा अथवा कार्यकारिणी की बैठकों में सम्मिलित होकर विचार विमर्श करने हेतु आमंत्रित करना।
  • 13.14: किसी विषय पर समान मत होने पर प्रधान द्वारा अपना निर्णायक मत देकर उसका निर्णय करना। इस प्रकार प्रधान को दो मत देने का अधिकार होगा।
  • 13.1.5: नियमों के सम्बन्ध में मतभेद होने पर अपनी व्यवस्था देना।
  • 13.1.6: सूचना सम्बन्धी किसी भी विवाद पर अपना निर्णय देना।
  • 13.1.7: उपाध्यक्षों को यथोचित कार्य आवन्टित करना।
  • 13.1.8: भार्गव सभा एवं समाज को समुचित नेतत्व प्रदान करना, जिससे चहुंमुखी उन्नति हो सके।
  • 13.1.9: आगामी वर्श एवं आगे के वर्शों के लिए परियोजनाओं एवं वित्तीय योजनाओं की रूपरेखा तैयार करना तथा उन्हें अंतिम स्वरूप देकर क्रियान्वित करना।
  • 13.1.10: समाज के संसाधनों का, समाज के परिवारों की उन्नति में अधिकतम योगदान मिले इसे सुनिष्चित करना।
  • 13.1.11: सामूहिक सामाजिक विकास द्वारा यह प्रतिश्ठित करना कि ‘‘हमें भार्गव होने का गर्व है।’’
13.2 उपाधयक्ष के कर्त्तव्य एवं अधिाकार:
  • 13.2.1: हर प्रकार से अध्यक्ष की सहायता करना।
  • 13.2.2: अध्यक्ष की अनुपस्थिति में प्रधान का आसन ग्रहण करके अध्यक्ष का कर्तव्य पालन करना।
  • 13.2.3: अध्यक्ष द्वारा निर्धारित कार्यों को सम्पादित करना।
  • 13.2.4: अपने क्षेत्र से निकट संबंध रखकर, समन्वय बनाकर रखना एवं हर प्रकार की सम्भव सहायता एवं दिषा-ज्ञान देना। यदि किसी साधारण अथवा कार्यकारिणी बैठक में अध्यक्ष तथा कोई भी उपाध्यक्ष उपस्थित न हां तो कार्यकारिणी, उपस्थित सदस्यों में से किसी को भी अध्यक्ष पद हेतु चयनित करेगी। उस समय उसके कर्तव्य तथा अधिकार अध्यक्ष के समान होंगे।
13.3 मुख्य सचिव के कर्त्तव्य एवं अधिकार:
  • 13.3.1: कार्यकारिणी की बैठकों तथा सभा की बैठकों की कार्यवाही का लेखा रखना एवं आगामी बैठकों में अनुमोदन कराना।
  • 13.3.2: सभा के कार्यालय का संचालन करना तथा सभा कार्यालय हेतु कर्मचारियों की नियुक्ति करने, दण्डित करने, निलम्बित करने तथा निकालने का पूर्ण अधिकार होगा।
  • 13.3.3: सभा की ओर से पत्र व्यवहार करना एवं आवश्यक पत्रों को बैठकों में प्रस्तुत करना।
  • 13.3.4: आवश्यकता पड़ने पर एक ही वित्तीय वर्ष में बजट प्रावधानों के अतिरिक्त स्वयं के अधिकार से कुल रु. 1000ध्.तथा अध्यक्ष की स्वीकृति से बजट के अतिरिक्त कुल रु. 3000ध्. तक व्यय करना तथा उसका अनुमोदन कार्यकारिणी एवं सभा की बैठक में करवाना।
  • 13.3.5: सदस्यों के प्रश्नों का उत्तर देना।
  • 13.3.6: सभा की कार्यकारिणी की बैठकों का प्रबन्ध करना और कराना।
  • 13.3.7: अध्यक्ष की सहमति से साधारण तथा विशेष बैठकों की तिथि, समय, स्थान तथा कार्यक्रम की सूचना सभासदों को समयानुसार भेजना।
  • 13.3.8: सचिवों को यथोचित कार्य आवंटित कर उसकी सूचना अध्यक्ष को देना।
  • 13.3.9: वार्षिक कार्यवाही प्रस्तुत करना, जिसमें कार्यकारिणी और उपसमितियों के कार्य का संक्षिप्त विवरण भी होना चाहिये।
  • 13.3.10: हर दशा में सभा के समस्त कार्य सम्पादन का उत्तरदायित्व मुख्य सचिव पर है।
  • 13.3.11: सभा द्वारा पारित प्रस्तावों के आधार पर सभा की चल एवं अचल सम्पत्ति को बेचने या रहन या लीज पर रखने का अधिकार।
  • 13.3.12: सभा को प्राप्त नकद/चैक इत्यादि की रसीद पर किसी भी व्यक्ति को हस्ताक्षर करने के लिये अधिकृत करना।
  • 13.3.13: अनुमानित वार्षिक आय व्यय का ब्यौरा/बजट तैयार करना और स्वीकृति के अनुसार कार्य करना।
  • 13.3.14: सभा एवं कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्तावों का क्रियान्वयन सुनिश्चित करना।
  • 13.3.15: अदालती कार्यवाही के संचालन का समस्त उत्तरदायित्व मुख्य सचिव का होगा।
  • 13.3.16: मुख्य सचिव यदि किसी विशेष प्रयोजन के लिए कोई विशेष बैठक आहूत करना चाहे तो प्रधान को सूचित करने के उपरान्त ऐसी बैठक आहूत कर सकते हैं।
  • 13.3.17: वार्षिक बैठक से पूर्व चल व अचल सम्पत्तियों के रजिस्टरों की जाँच करके मुख्य सचिव अपनी रिपोर्ट कार्यकारिणी से अनुमोदित कराकर वार्षिक बैठक में प्रस्तुत करेंगे।
13.4 संयुक्त सचिव के कर्त्तव्य एवं अधिाकार:
  • 13.4.1: मुख्य सचिव द्वारा आवन्टित कार्यों को सम्पादित करना एवं उनको हर प्रकार से सहयोग देना। मुख्य सचिव की अनुपस्थिति में आयु में वरिष्ठतम संयुक्त सचिव, मुख्य सचिव के कर्तव्यों का पालन करेंगे।
13.5 कोषाध्यक्ष के कर्त्तव्य एवं अधिाकार:
  • 13.5.1: सभा की आय व्यय का हिसाब रखना तथा रसीद देना व लेना।
  • 13.5.2: वर्ष की समाप्ति पर बैलेन्स शीट एवं आय-व्यय का विवरण बनाना।
  • 13.5.3: लेखा निरीक्षक से सभा के हिसाब की जाँच करवाना तथा उसे कार्यकारिणी/वार्षिक बैठक में प्रस्तुत करना तथा आवश्यकता पड़ने पर सभासदों द्वारा पूछे गये सम्बन्धित प्रश्नों का उत्तर देना।
  • 13.5.4: सभा के धन को, जो उनके अधिकार में दिया गया हो, अपने नियन्त्रण में रखना।
  • 13.5.5: चैक पर मुख्य सचिव/प्रधान के साथ हस्ताक्षर करना।
  • 13.5.6: प्रधान एवं मुख्य सचिव की लिखित आज्ञानुसार रुपया लेना एवं देना।
  • 13.5.7: अगले वित्त वर्ष का अनुमानित बजट बनाने में मुख्य सचिव की सहायता करना।
  • 13.5.8: मुख्य सचिव द्वारा आवंटित कार्य को सम्पादित करना।
  • 13.5.9: प्रधान एवं मुख्य सचिव के साथ वार्षिक आय व्यय का ब्यौरा तैयार करके, कार्यकारिणी की स्वीकृति लेकर वार्षिक अधिवेशन में प्रस्तुत करना।
14. सभा की सम्पत्ति:
14. सभा की सम्पत्ति: सभा की सम्पत्ति दो प्रकार की होगी
14.1 स्थायी सम्पत्ति:
  • 14.1.1: सभा के पास स्थायी कोष का जो नगद रुपया तथा चल अचल सम्पत्ति इस समय है या जो भविष्य में किसी प्रकार के कोष में प्राप्त हो अथवा जो शुल्क आजीवन सदस्यों से प्राप्त हो, वह सब सभा की स्थायी सम्पत्ति होगी तथा यह साधारण कार्यों के लिये व्यय नहीं होगी। केवल उससे प्राप्त आय ही सभा के उद्देश्यों की पूर्ति के लिये व्यय हो सकेगी।
  • 14.1.2 : यदि कोई सदस्य/व्यक्ति/संस्था इत्यादि सभा को अपनी समस्त सम्पत्ति या उसका कोई निश्चित भाग स्थायी रूप से सौंपे, जिससे सभा का हित होता हो तथा जिसे सभा स्वीकार करे तो सभा को उसे स्वीकार करने का अधिकार होगा तथा ऐसी सम्पत्ति आगे से सभा की स्थायी सम्पत्ति हो जायेगी।
  • 14.1.3 : जो दान सभा को स्थायी निधि के रूप में विशेष कार्यों में व्यय करने के लिये अब तक मिला है या जो भविष्य में इसी प्रकार मिले वह भी सभा की स्थायी सम्पत्ति में शामिल होगा। परन्तु जब तक आवश्यकता रहे उससे प्राप्त आय केवल उन्हीं विशेष कार्यों में व्यय हो सकेगी। तत्पश्चात् अन्य कार्यों में व्यय हो सकती है।
  • 14.1.4 : नई स्थायी सम्पत्ति खरीदने में भी सभा की पूर्व की स्थायी सम्पत्ति का उपयोग हो सकता है।
14.2 अस्थायी सम्पत्ति:
  • 14.2.1: स्थायी सम्पत्ति से प्राप्त आय, साधारण सदस्यों का शुल्क तथा अन्य दान आदि सभा की अस्थायी सम्पत्ति होगी।
  • 14.2.2 : सभा के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु जितने द्रव्य की आवश्यक्ता हो वह अस्थायी सम्पत्ति से लिया जायेगा।
  • 14.2.3 : अस्थायी सम्पत्ति में जो दान किसी विशेष कार्य के लिये प्राप्त हो वह केवल उसी कार्य के लिये व्यय हो सकेगा।
  • 14.2.4 : अस्थायी सम्पत्ति में से वर्ष के सम्पूर्ण व्यय के बाद जो भी बचत हो उसको वर्तमान में प्रभावी आयकर अधिनियम के अनुरूप सभा के हितों को ध्यान में रखते हुये कार्यकारिणी की अनुशंसा से स्थायी कोष अथवा प्रतिभूतियों में स्थानान्तरित अथवा नियोजित की जा सकेगी। सभा की चल सम्पत्ति का निवेश राष्ट्रीयकृत बैंक, डाकखाना, रिजर्व बैंक बांड और अखिल भारतीय भार्गव सभा में ही किया जा सकेगा
15. प्रशासनिक एवं अदालती कार्यवाही:
 
  • 15.1: विवाद ग्रस्त सम्पत्ति की पैरवी तथा अन्य कार्यवाही सभा के नाम पर मुख्य सचिव द्वारा की जावेगी।
  • 15.2 : सभी कानूनी कार्यवाही जो सभा की ओर से या उसके विरुद्ध हो मुख्य सचिव द्वारा सभा के नाम से होगी।
  • 15.3 : मुख्य सचिव विशेष परिस्थितियों में कानूनी एवं प्रशासनिक कार्यवाही में अलग-अलग मुख्तयार नामे के द्वारा ऐसे प्रत्येक कार्य विशेष के लिये किसी व्यक्ति को मुख्तयारनामे में वर्णित अधिकार के अनुरुप सभा का पक्ष प्रस्तुत करने हेतु अधिकृत कर सकेंगे।
16. अभिलेख:- मुख्य सचिव के कार्यालय में निम्नलिखित अभिलेख होंगे-
 
  • 16.1: पावती ((Receipt) रजिस्टर एवं प्रेषण (Dispatch) रजिस्टर। इसी में डाक व्यय का हिसाब भी होगा।
  • 16.2 : रोकड़-बही (Cash Book) एवं खाता-बही ((Ledger)।
  • 16.3 : रसीद बुक एवं चैक बुक।
  • 16.4 : ररजिस्टर जिसमें सभा एवं कार्यकारिणी द्वारा पारित प्रस्ताव क्रमवार लिखे जावेंगे।
  • 16.5 : रजिस्टर जिसमें वार्षिक, साधारण एवं विशेष अधिवेशन की कार्यवाही लिखी जाये।
  • 16.6 : रजिस्टर जिसमें कार्यकारिणी की कार्यवाही लिखी जावेगी।
  • 16.7 : रजिस्टर जिसमें सभा के आजीवन तथा साधारण सदस्यों के नाम लिखे जावेंगे।
  • 16.8 : सभा की अचल सम्पत्तियों का रजिस्टर।
  • 16.9 : फाइल जिसमें सभा को दान दी हुई सम्पत्ति के लिखित दस्तावेज रखे जावेंगे।
  • 16.10 : फाइल जिसमें सभा के अन्य दस्तावेज रखे जावेंगे।
  • 16.11 : फाइल जिसमें सभा की नियमावली रखी जावेगी।
  • 16.12 : रजिस्टर जिसमें सभा के कर्मचारियों के नाम लिखे जावेंगे।
  • 16.13 : अन्य रिकार्ड जिसकी समयानुसार आवश्यकता हो।
17. सभा का वित्तीय वर्ष
  सभा का वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से 31 मार्च तक होगा। परन्तु भारत सरकार द्वारा आयकर अथवा अन्य किसी प्रकार के कानूनी परिवर्तन के कारण सभा के वित्तीय वर्ष की अवधि कार्यकारिणी द्वारा संशोधित की जा सकेगी।
18. विघटन के उपरान्त विघटित सम्पत्ति का निस्तारण
  यदि सभा का किसी समय किन्हीं कारणोंवश विघटन हुआ तो विघटन और विघटित सम्पत्ति का निस्तारण सोसायटीज रजिस्ट्रेशन एक्ट की प्रभावी धाराओं के अनुरुप होगा।
19. न्यायाधिकरण
19.1 गठन:
  • सभा के वार्षिक अधिवेशन में एक तीन सदस्यीय न्यायाधिकरण का गठन किया जायेगा। जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होगा। न्यायाधिकरण के सदस्य निम्न श्रेणी में से होंगे -
 
  • 19.1.1 : पूर्व प्रधान में से दो।
  • 19.1.2 : 50 वर्ष से अधिक आयु का सभासद जिसे 4 वर्ष का कार्यकारिणी का अनुभव हो।
  • 19.1.3 : न्यायाधिकरण के सदस्य स्वयं ही अपना अध्यक्ष चुनेंगे। अध्यक्ष आवश्यकतानुसार बैठक आहूत करेंगे।
19.2 न्यायाधिकरण के अधिाकार एवं उनका कार्यक्षेत्र:
 
  • 19.1.1 : निर्वाचन अधिकारी द्वारा घोषित चुनाव परिणामों के विरुद्ध यदि कोई प्रत्याशी या सदस्य आपत्ति उठाना चाहे तो उसे अपनी आपत्ति लिखित रूप में चुनाव परिणाम घोषणा के सात दिवस के अन्दर न्यायाधिकरण के अध्यक्ष को प्रस्तुत करनी होगी।
  • 19.1.2 : पृथक किये हुए सदस्य की अपील पर विचार।
  • 19.1.3 : संविधान सम्बन्धी किसी भी मतभेद पर धारा की व्याख्या करना एवं स्पष्टीकरण देना।
  • 19.2.4 : द्विवर्षीय कार्यकाल की समाप्ति तक नई कार्यकारिणी का गठन न होने पर न्यायाधिकरण चुनाव कराकर नई कार्यकारिणी का गठन करेगी।
  • 19.2.5 : किसी भी सदस्यों के विरुद्ध (चुनाव प्रक्रिया में अवरोध अथवा दुर्व्यवहार की शिकायत आने पर न्यायाधिकरण) सफाई का मौका देने के पश्चात तथा दोषी पाये जाने पर पाँच वर्षों तक के लिये उस सदस्यों को सभा के किसी भी पद के लिये चुनाव लड़ने तथा मतदान के अधिकार से वंचित कर सकता है।
19.3 गणपूर्ति एवं निर्णय:
  • न्यायाधिकरण की बैठक के लिये गणपूर्ति हेतु कम से कम दो सदस्यों की उपस्थिति आवश्यक है। न्यायाधिकरण अपना फैसला बहुमत से लेगी। परन्तु दोनों सदस्यों का एकमत न होने की स्थिति पर अन्तिम निर्णय तीनों सदस्यों के बहुमत पर होगा। न्यायाधिकरण के निर्णय अन्तिम तथा सर्वमान्य होंगे तथा इसके विरुद्ध किसी भी पक्ष को न्यायालय में जाने का अधिकार नहीं होगा। यदि आवश्यक हो तो न्यायाधिकरण अन्तरिम निर्णय भी दे सकता है जो अन्तिम निर्णय आने तक मान्य होगा। न्यायाधिकरण अपना अन्तिम निर्णय अधिक से अधिक 2 माह में दे देगा। इस निर्णय के विरुद्ध केवल अ.भा.भार्गव सभा के न्यायाधिकरण में अपील की जा सकती है।
19.4 रिक्त स्थानों की पूर्ति:
  • यदि न्यायाधिारण के किसी सदस्य का स्थान रिक्त होता है तो उसकी पूर्ति साधाारण सभा में होगी
19.5 प्रतिबन्ध:
  • न्यायाधिकरण के सदस्य सभा की निर्वाचन प्रक्रिया में भाग नहीं ले सकेंगे।
20. संविधाान में संशोधान
20 संविधान में संशोधन:
  • 20.1 : सभा के संविधान में परिवर्तन विशेष रूप से गठित ‘‘संविधान समीक्षा उपसमिति’’ की अनुशंसा पर कार्यकारिणी के अनुमोदन के पश्चात सभा के विशेष साधारण अधिवेशन में ही हो सकेगा।
  • 20.2 : प्रस्तावित परिवर्तनों की सूचना जिसमें उनकी आवश्यकता भी दर्शायी गयी हो, सदस्यों को विशेष अधिवेशन की तिथि से कम से कम 21 दिन पूर्व भेजी जानी चाहिये। विशेष अधिवेशन की सूचना सभा द्वारा अनुमोदित समाचार पत्रिका में विशेष अधिवेशन की तिथि से 30 दिन पूर्व प्रकाशित करना पर्याप्त माना जायेगा। ऐसी परिस्थिति में सभी सभासदों को सीधे सूचना भेजना आवश्यक न होगा।
  • 20.3 : प्रस्तावित परिर्वतन विशेष अधिवेशन में उपस्थित सदस्यों के 2/3 से अधिक बहुमत के पक्ष में होने पर ही स्वीकृत समझे जायेंगे।
  • 20.4 : विशेष अधिवेशन के अनुमोदन के उपरान्त साधाारण अधिवेशन से भी अनुमोदन आवश्यक है। यह साधाारण अधिवेशन, विशेष अधिवेशन के तुरन्त बाद परन्तु 90 दिन पूर्व आयोजित किया जायेगा। धाारा 20,2 एवं 20,3 साधाारण अधिवेशन हेतु भी आवश्यक होगी।
  • 20.5 : उपरोक्त धाराओं में दिये गये प्रावधानों के अन्यथा भी वित्तीय वर्ष सम्बन्धित संशोधन वर्तमान में प्रभावी या सरकार द्वारा निर्देशित किसी अधिसूचित तिथि से प्रभाव में आने वाले अधिदेशात्मक ;डंदकंजवतलद्ध कानूनों को मध्यनजर रखते हुए सभा के साधारण अधिवेशन में सामान्य बहुमत के आधार पर पारित किये जा सकेंगे। विशेष परिस्थितियों में इस प्रकार के संशोधन कार्यकारिणी की बैठक में भी पारित किये जा सकेंगे। परन्तु उनकी पुष्टि आगामी साधारण अधिवेशन में होनी आवश्यक होगी।
निर्वाचन प्रणाली - दिल्ली भार्गव सभा के पदाधिाकारियों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों हेतु
1. निर्वाचन अधिाकारी:
  • चुनाव वर्ष में वार्षिक बैठक की तिथि से कम से कम एक माह पूर्व कार्यकारिणी द्वारा एक निर्वाचन अधिकारी एवं वैकल्पिक निर्वाचन अधिकारी नियुक्त कर दिया जायेगा। सभा कार्यालय सभी आजीवन, साधारण सदस्यों को निश्चित चुनाव तिथि से एक माह पूर्व सूचित करेंगे। इस सूचना हेतु सभा द्वारा अनुमोदित समाचार पत्रिका में प्रकाशन पर्याप्त माना जायेगा।
2. निर्वाचन प्रक्रिया:
  • 2.1 : निर्वाचन अधिकारी अपनी नियुक्ति की घोषणा के पश्चात निर्वाचन प्रक्रिया, कार्यक्रम व नामांकन पत्र का प्रारुप सभा के समस्त सदस्यों के सूचनार्थ भेजेगें। इस सूचना हेतु सभा द्वारा अनुमोदित समाचार पत्रिका में प्रकाशन पर्याप्त माना जायेगा।
  • 2.2 : निर्वाचन प्रक्रिया एवं घोषणाओं के विषय में निर्वाचन अधिकारी का निर्णय अन्तिम व सर्वमान्य होगा।
  • 2.3 : निर्वाचन अधिकारी को यह अधिकार होगा कि वह निर्वाचन सम्बन्धी सभी कार्य को सुचारु रूप से चलाने हेतु आवश्यकतानुसार ऐसे व्यक्तियों की सहायता प्राप्त करें जो स्वयं प्रत्याशी, प्रस्तावक एवं समर्थक ना हों यद्यपि उन्हें मत देने का अधिकार होगा। निर्वाचन अधिकारी स्वयं मतदान में भाग नहीं लेंगे।
3. नामांकन:
  • निर्वाचन अधिकारी के पास पदाधिकारियों तथा कार्यकारिणी के सदस्यों के लिए नामांकन पत्र निर्धारित फार्म में निर्वाचन अधिकारी द्वारा प्रसारित कार्यक्रम के अनुसार यथा समय पहुँच जाने चाहियें। प्रस्तावक का व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होना अनिवार्य होगा।
  • चुनाव वर्श में 30 नवम्बर तक बने सभा के आजीवन सभासद परिचय पत्र के आधार पर ही निर्वाचन में प्रत्याषी, प्रस्तावक, समर्थक अथवा मतदाता के रूप में भाग ले सकेंगे। चुनाव वर्श में 30 नवम्बर से पूर्व बने साधारण सभासद परिचय-पत्र के आधार पर केवल मतदाता के रूप में ही निर्वाचन में भाग ले सकेंगे।
  • प्रधान व मुख्य सचिव के पद हेतु सदस्य का पिछले 4 वर्ष कार्यकारिणी का सक्रिय सदस्य तथा 2 वर्श किसी भी पदाधिकारी पद पर होना आवश्यक है।
  • सभा द्वारा जारी लैमिनेटिड परिचय-पत्र के आधार पर ही चुनाव प्रक्रिया में भाग लिया जा सकता है।
4. सभासदों को परिचय-पत्र:
  • सभा के समस्त सभासदों को सभा के कार्यालय द्वारा एक लेमिनेटिड परिचय पत्र उनके आवेदन करने पर निःशुल्क जारी किया जाएगा। जिन सभासदों के पूर्व जारी किये गये परिचय पत्र खो गये हों या जो लेमिनेटिड परिचय पत्र प्राप्त न कर सके हों उनके लिये यह आवष्यक होगा कि वे नये लेमिनेटिड परिचय पत्र हेतु सभा कार्यालय में अपने प्रार्थना-पत्र निर्धारित तिथि 15 दिसम्बर से पूर्व तक अवष्य पहुंचा दें।
  • डुप्लीकेट परिचय पत्र बनवाने हेतु निर्धारित शुल्क देना होगा। निर्धारित तिथि के पष्चात् प्राप्त प्रार्थना पत्रों पर कार्यवाही चुनाव समाप्त होने के पष्चात् ही की जा सकेगी। यह निश्पक्ष चुनाव हेतु आवष्यक है।
5. नामांकन पत्रों की जाँच:
  • निर्वाचन अधिकारी विधिवत् प्राप्त नामांकन पत्रों की जांच करने के पश्चात् वैध प्रत्याशियों की सूची कार्यक्रम के अनुसार घोषित कर देगा।
  • नामांकन पत्र निरस्त करने का अधिकार निर्वाचन अधिकारी को कारण बताते हुए होगा।
6. नामांकन पत्र पर प्राप्त आपत्तियों का निस्तारण:
  • (क) यदि किसी प्रत्याशी के नामांकन पत्र पर कोई आपत्ति प्राप्त हुई है और प्रत्याशी आपत्ति को प्रतिवाद करने के लिए स्वयं प्रस्तुत होना चाहता है तो आपत्ति की सुनवाई अगले दिन तक के लिए निर्धारित समय तक स्थगित की जा सकती है तथा आपत्ति सुनने के बाद नामांकन पत्र की वैधता पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्णय लिया जायेगा। प्रत्याशी निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित समय तक अपना नामांकन पत्र वापस ले सकता है। निर्धारित अवधि बीत जाने के बाद वैध पाये गये नामांकन पत्रों की सूची प्रकाशित कर दी जायेगी।
  • (ख) नामांकन पत्र स्वयं या तो प्रत्याशी द्वारा अथवा उसके प्रस्तावक द्वारा ही निर्वाचन अधिकारी के समक्ष दाखिल किया जा सकता है।
  • (ग) नामांकन पत्र निर्धारित समय सीमा में ही दाखिल किया जा सकता है।
  • (घ) नामांकन पत्र निर्वाचन अधिकारी द्वारा निर्धारित स्थान पर ही दाखिल किया जायेगा।
7. प्रत्याशियों द्वारा नाम वापसी:
  • विभिन्न पदों हेतु कोई प्रत्याशी यदि अपना नाम वापिस लेना चाहे तो वह कार्यक्रम में दिये गये निर्धारित समय तक निर्वाचन अधिकारी को अपना नाम वापसी हेतु लिखित में स्वयं अथवा प्रस्तावक द्वारा पत्र देकर नाम वापस ले सकेंगे।
8. प्रत्याशियों की अंतिम सूची:
  • निर्वाचन अधिकारी नाम वापस की अवधि की समाप्ति के पश्चात् वैध प्रत्याशियों की अंतिम (फाइनल) सूची तैयार कर कार्यक्रम में निर्धारित समय पर घोषित कर निर्वाचन कार्यालय पर प्रदर्शित कर देगा।
    सदस्य कार्यकारिणी द्वारा निर्धारित फीस देकर मतदाता सूची की प्रति सभा कार्यालय से प्राप्त कर सकते हैं।
9. सामान्य निर्वाचन प्रक्रिया:
  • (क) पदाधिकारियों के पदों एवं कार्यकारिणी के सदस्यों के पदों के लिए निर्वाचन गुप्त मतदान द्वारा कराये जायेंगे।
  • (ख) कोई भी सदस्य एक पदाधिकारी पद एवं कार्यकारिणी सदस्य के लिए प्रत्याशी हो सकता है।
  • (ग) वैध नामांकन पत्रों की सूची अंग्रेजी वर्ण क्रमानुसार तैयार की जायेगी।
  • (घ) अन्तिम तिथि व समय के पश्चात् प्राप्त नामांकन पत्रों पर कोई विचार नहीं किया जायेगा।
  • (ङ) मतदाताओं की सुविधा के लिए प्रत्याशियों की फाइनल सूची मतदान केन्द्र में ही उपलब्ध रहेगी।
  • (च) किसी भी पद पर यदि प्रत्याशियों को समान मत प्राप्त होते हैं तो ऐसी स्थिति में बैठक स्थल पर निर्वाचन अधिकारी द्वारा ही लाटरी निकाल कर निर्णय लिया जायेगा।
10. मतदान व निर्वाचन परिणामों की घोषणा:
  • मतगणना, मतदान की समप्ति के तुरंत पश्चात की जायेगी। मतगणना पूर्ण होने के पश्चात निर्वाचन अधिकारी निर्वाचित सदस्यों के नामों की पद नाम सहित वरीयता क्रम से करेंगें तथा प्रधान को षपद दिलाऐगे। बाकी सदस्यों को षपद प्रथम बैठक में प्रधान द्वारा दिलाई जाएगी।
  • निर्वाचन अधिकारी द्वारा चुनाव परिणाम की घोषणा के उपरान्त चुनाव प्रक्रिया से संबंधित कोई भी आपत्ति उनके द्वारा स्वीकार नहीं की जायेगी। परन्तु न्यायाधिकरण में सात दिन तक चुनाव पर आपत्ति कर सकते हैं।
  • नव निर्वाचित पदाधिकारी आगामी एक अप्रैल को अपना कार्यभार ग्रहण करेंगे। वे एक अप्रैल से दो वर्ष तक नियमावली के अनुसार अपने-अपने अधिकारों एवं दायित्तयों का प्रयोग कर सकेंगे। निवर्तमान पदाधिकारियों का कर्तव्य होगा कि कार्यकारिणी की प्रथम बैठक तक संबंधित कार्यालय का समस्त लेखा जोखा आदि नवनिर्वाचित पदाधिकारियों को हस्तान्तरित करें।
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